Soil science page

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मिट्टी (मृदा) (soil and land)

भारत देश में "डॅा.जे.डब्ल्यू.लैदर" (J.W.Leather)को मृदा विज्ञान एंव कृषि रसायन विज्ञान का जनक कहा जाता है।

पृथ्वी के ऊपरी सतह पर मोटे, मध्यम और बारीक कार्बनिक तथा अकार्बनिक मिश्रित कणों को 'मृदा' मिट्टी कहते हैं। ऊपरी सतह पर से मिट्टी हटाने पर प्राय: चट्टान (शैल) पाई जाती है। कभी कभी थोड़ी गहराई पर ही चट्टान मिल जाती है। 'मृदा विज्ञान' (Pedology) भौतिक भूगोल की एक प्रमुख शाखा है जिसमें मृदा के निर्माण, उसकी विशेषताओं एवं धरातल पर उसके वितरण का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता हैं। पृथ्वी की ऊपरी सतह के कणों को ही ( छोटे या बडे) soil कहा जाता है।

परिचय[edit | edit source]

नदियों के किनारे तथा पानी के बहाव से लाई गई मिट्टी जिसको 'कछार मिट्टी'(जलोढ़ मिट्टी) कहते हैं, खोदने पर चट्टान नहीं मिलती। वहाँ नीचे के स्तर में जल का स्रोत मिलता है। सभी मिट्टियों की उत्पत्ति चट्टान से हुई है। जहाँ प्रकृति ने मिट्टी में अधिक हेर-फेर नहीं किया और जलवायु का प्रभाव अधिक नहीं पड़ा, वहाँ यह संभव है कि हम नीचे की चट्टानों से ऊपर की मिट्टी का संबंध क्रमबद्ध रूप से स्थापित कर सकें। यद्यपि ऊपर की सतह की मिट्टी का रंग-रूप नीचे की चट्टान से बिलकुल भिन्न है, फिर भी दोनों में रासायनिक संबंध रहता है और यदि प्राकृतिक क्रिया द्वारा, अर्थात् जल द्वारा बहाकर, अथवा वायु द्वारा उड़ाकर, दूसरे स्थल से मिट्टी नहीं लाई गई है, तब यह संबंध पूर्ण रूप से स्थापित किया जा सकता है। चट्टान के ऊपर एक स्तर ऐसा भी पाया जा सकता है जो चट्टान से ही बना है और अभी प्राकृतिक क्रियाओं द्वारा पूर्णत: मिट्टी के रूप में नहीं आया है, सिर्फ चट्टान के मोटे-मोटे टुकड़े हो गए हैं, जो न तो मिट्टी कहे जा सकते हैं और न चट्टान। इन्हीं की ऊपरी सतह में मिट्टी की बनावट पाई जाती है। इसी स्तर की मिट्टी में हमें नीचे की चट्टान के रासायनिक और भौतिक गुणों का संचय मिल सकता है। यदि चट्टान क्रिस्टलीय है, तो इसकी संभावना शत प्रतिशत पक्की है। नीचे की चट्टान के अत्यंत निकटवर्ती, पार्श्व भाग में चट्टान के समान रासायनिक और भौतिक गुण प्राप्त हो सकते हैं। जैसे-जैसे ऊपर की ओर दूरी बढ़ती जाएगी चट्टान की रूपरेखा भी बदलती जाएगी। अंत में हम वह मिट्टी पाते हैं, जो कृषि के लिये अत्यन्त अनुकूल सिद्ध हुई है और जिसपर आदि काल से कृषि होती आ रही है तथा मनुष्य फसल पैदा करता रहा है। कोई-कोई मिट्टी दूसरी जगह की चट्टानों से बनकर प्राकृतिक कारणों से आ जाती है। ऐसे स्थानों में यह सम्भावना नहीं है कि ऊपर की मिट्टी का भौतिक तथा रासायनिक सम्बन्ध नीचे के संचय से स्थापित किया जाय, पर यह निश्चित है कि मिट्टी की उत्पत्ति चट्टानों से हुई है। खेतों की मिट्टी में चट्टानों के खनिजों के साथ-साथ, पेड़ पौधों के सड़ने से, कार्बनिक पदार्थ भी पाए जाते हैं।


मिट्टी: परिभाषा और गुण | Soil: Definition and Properties | Hindi | Soil Management


मिट्टी: परिभाषा और गुण | Read this article in Hindi to learn about:- 1. मृदा की परिभाषा (Definition of Soil) 2. मृदा की उत्पत्ति (Origin of Soil) 3. संगठन (Composition) 4. वर्गीकरण (Classification) 5. निर्माण की विधि (Procedure of Formation) 6. मृदा (Properties) 7. टैक्सचर (Texture) 8. संरचना एवं छिद्रता (Structure Porosity) 9. परिच्छेदिका (Profile).

Contents:

  1. मृदा की परिभाषा (Definition of Soil)
  2. मृदा की उत्पत्ति (Origin of Soil)
  3. मृदा का संगठन (Composition of Soil)
  4. मृदा का वर्गीकरण (Classification of Soil)
  5. मृदा निर्माण की विधि (Procedure of Soil Formation)
  6. मृदा के गुण (Properties of Soil)
  7. मृदा का टैक्सचर (Soil Texture)
  8. मृदा संरचना एवं छिद्रता (Soil Structure Porosity)
  9. मृदा परिच्छेदिका (Soil Profile)

1. मृदा की परिभाषा (Definition of Soil):[edit | edit source]

पृथ्वी की सबसे ऊपरी सतह की उथली परतों को मृदा (Soil) या मिट्टी कहते हैं, जिसका निर्माण मिट्टी से ठीक नीचे चट्टानों के विघटन (Decomposition) और उन पर कार्बनिक पदार्थों (Organic Matter) के फलस्वरूप होता है । इसमें अधिकांश वनस्पतियाँ और जंतु स्थायी रूप से निवास करते हैं ।मृदा (Soil) में कार्बनिक (Organic) एवं अकार्बनिक (Inorganic) पदार्थ पाये जाते हैं । अत: मृदा केवल खनिज (Mineral) कणों (Particles) का ही समूह नहीं है । इसका अपना जैवीय वातावरण भी होता है । अत: मृदा की जगह जटिल मृदा (Complex Soil) कहलाती है ।


2. मृदा की उत्पत्ति (Origin of Soil):[edit | edit source]

जल, वायु आदि की भाँति मृदा (Soil) या मिट्टी भी जीव धारियों के लिए परम आवश्यक कारक है । अधिकांश वनस्पति और जन्तुओं का मिट्टी में स्थायी निवास है साधारणत: पृथ्वी के ऊपरी सतह को मृदा की संज्ञा से सम्बोधित करते हैं ।

परंतु ऊपरी परत के अतिरिक्त मिट्टी निर्माण में मौसम, कार्बनिक पदार्थों (Organic Matter) और जीवधारियों का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है । भूमि की गहराई में कुछ इंच से लेकर लगभग बीस फुट की गहराई में भिन्न-भिन्न मात्रा में पाया जाता है ।

इसमें विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म जीव (Micro-Organism) पाए जाते हैं, जिससे ह्यूमस का निर्माण होता है । इसमें ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है । मृदा (Soil) का निर्माण चट्टानों के भौतिक, रासायनिक तथा जैविक अपक्षय (Weathering) से होता है ।

जिस चट्टान से मृदा (Soil) का निर्माण होता है, जिसका रासायनिक-संगठन (Chemical Composition) भी वैसा ही होता है । एल्युमीनियम (Aluminium), पोटैशियम (Potassium), सोडियम (Sodium), तथा मैंगनीज (Mangnese) भी खनिज युक्त मृदा में पाये जाते हैं ।

कैल्शियम (Calcium) तथा मैग्नीशियम (Maganesium) चूना युक्त चट्टानों से निर्मित मृदा (Soil) में पाए जाते हैं । ये सभी पोषक तत्व (Nutritional Element) सूक्ष्म जीवों (Microbes) की वृद्धि तथा उपापचयी (Metabolic) क्रियाओं में सहायक होते हैं ।

मृदा (Soil) का कार्बनिक (Organic) भाग मुख्य रूप से पादप तथा प्राणी जगत के सदस्यों से मिलकर बनता है, जिससे मृदा (Soil) में निरंतर अपघटन होता है । जिससे ह्यूमस का निर्माण होता है ।

मृदा (Soil) में पाये जाने वाले सूक्ष्म जीव (Microbe) कोशिका (Cells) के अकार्बनिक व कार्बनिक (Inoganic and Organic) रसायनों (Chemicals) का निर्माण करते हैं, उदाहरण बहुशर्करा । यह रसायन (Chemical) मृदा (Soil) के कणों (Particles) को आपस में बांधते हैं ।

कवक (Fungi), एक्टीनोमाइसीटीज (Actinomycetes) आदि सजीव (Livings) इस परिवर्धन (Development) में सहायक होते हैं । सूक्ष्म जीव (Microbes) मृदा कणों (Soil Particles) की सतह पर या अन्तर कणों के खाली स्थान में निवास करते हैं ।

वाष्पशील रसायन जैसे कि मीथेन (Methane), हाइड्रोजन सल्फाइड H2S, अमोनिया (Ammonia) तथा हाइड्रोजन (Hydrogen) इन कणों (Particles) के मध्य अधिकता से पाये जाते हैं ।


3. मृदा का संगठन (Composition of Soil):[edit | edit source]

मृदा के विभिन्न घटक निम्न प्रकार के हैं:

(1) खनिज पदार्थ (Mineral Matter)- यह खनिज पदार्थ चट्टानों के टूटने से बनते हैं ।

(2) मृदीय कार्बनिक पदार्थ या ह्यूमस (Soil Organic Matter or Humus)- ये पदार्थ जीवों के मृत हो जाने पर उनके विघटन के परिणामस्वरूप बनते हैं ।

(3) मृदीय जल एवं मृदीय घोल (Soil Water and Soil Solution)- मृदीय जल (Soil Water) एक घोल के रूप में होता है क्योंकि इसमें खनिज (Mineral) एवं गैसें घुली रहती हैं ।

मृदा जल (Soil Water) कैपिलरी (Capillary) के रूप में मिट्टी के कणों (Soil Particles) द्वारा हेल्ड-अप (Held-Up) रहता है । यह जल वास्तव में एक घोल स्वरूप है । अत: यह पादपों (Plants) के लिए खनिजों का स्त्रोत भी होता है ।

(4) जीव तन्त्र (Biological System)- मृदा में विभिन्न प्रकार के लघु एवं गुरू जीव पाये जाते हैं । जैसे जीवाणु, कवक, शैवाल, केंचुआ, निमैटोड्‌स आदि ।