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UP Assembly Election 2022: यूपी में निषादों के हाथ सियासी पतवार, जानें- किसकी नैया लगाएंगे पार[edit | edit source]
UP Assembly Election 2022 निषाद समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले छोटे दल यह संदेश दे चुके हैं कि सियासी पतवार उनके हाथ में है। अपने मजबूत वोटबैंक से वह बड़े राजनीतिक दलों का खेल कई सीटों पर बिगाड़ सकते हैं। |
लखनऊ [अजय जायसवाल]। अपनी नाव में बिठा कर गंगा पार कराने के लिए केवट ने प्रभु राम के चरण धोए थे, लेकिन आज राजनीतिक परिस्थितियां ऐसी हैं कि सभी दल उसी निषाद समाज की मान-मनौव्वल में लगे हैं कि चुनावी नैया पार हो जाए। इस समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले छोटे दल यह संदेश दे चुके हैं कि सियासी पतवार उनके हाथ में है।
निषाद समाज अपने मजबूत वोटबैंक से वह बड़े राजनीतिक दलों का खेल कई सीटों पर बिगाड़ सकते हैं। चुनौतीपूर्ण चुनाव में कोई दल किसी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहता, इसलिए भाजपा हो या फिर सपा व अन्य दल, सभी का प्रयास है कि निषाद समाज उनके साथ रहे। इन्हें भी किसी बड़ी पार्टी के साथ जाने में कोई गुरेज नहीं है, लेकिन अपनी राजनीतिक हैसियत बढ़ाने के लिए वह इसकी बड़ी कीमत वसूलने की कोशिश में भी हैं।
उत्तर प्रदेश की 50 फीसद से अधिक पिछड़ी आबादी में तकरीबन 13 फीसद निषाद हैं जो अति पिछड़ी उपजातियों में माने जाते हैं। समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं का स्पष्ट तौर पर दावा है कि राज्य की 403 विधानसभा सीटों में से उनके समाज का 160 सीटों पर ठीक-ठाक प्रभाव है। इन सीटों पर 60 हजार से लेकर 1.20 लाख तक वोट निषाद समाज का है। वैसे अन्य सीटों पर भी 10-20 हजार वोट का दावा किया जाता है। यही कारण रहा है कि निषाद समाज के वोटबैंक पर सभी राजनीतिक पार्टियों की सदैव नजर रही है। इस वोटबैंक को साधने के लिए समय-समय पर बड़े-बड़े दांव चले भी गए हैं। सबसे बड़ा दांव समाज की अति पिछड़ी उपजातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने या वैसा ही आरक्षण देने की मांग का रहा है। जिस पार्टी ने भी इस दिशा में कुछ करने की बात कही, समाज का वोट उसी पार्टी को जाता रहा है।
UP: विपक्ष के गठबंधन का चक्रव्यूह भी भेदने को तैयार भाजपा, चुनाव को लेकर जेपी नड्डा ने जताई यह संभावना...[edit | edit source]
जेपी नड्डा को लग रहा है कि विधानसभा चुनाव में विपक्षी दल मिलकर ही भाजपा से लड़ने के लिए मैदान में उतरेंगे। अभी पार्टियां छोटे दलों को शामिल करने की बात कह रही हैं लेकिन जैसे ही चुनाव नजदीक आएंगे तो बड़े दल भी एकजुट होने में संकोच नहीं करेंगे। |
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। भारतीय जनता पार्टी का उत्तर प्रदेश में मिशन-2022 फिर से सत्ता काबिज होने का है तो विपक्षी दलों का मिशन है भगवा दल के विजय रथ को हर हाल में रोकना। अलग-अलग चुनावों में हाथ मिलाकर ताकत आजमा चुकी समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस अभी भले अलग-अलग पाले में खड़ी होकर एक-दूसरे पर हमलावर हों, लेकिन 2019 में बतौर प्रभारी प्रदेश की सियासी नब्ज से वाकिफ हो चुके भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को नजर आ रहा है कि यहां विपक्ष का गठबंधन लगभग तय है। पार्टी को इसी के मुताबिक तैयारी करने के लिए भी कहा है।