Difference between revisions of "Hindi typing"
Jump to navigation
Jump to search
(NNशJखश) |
|||
(4 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
[[File:IIT Kanpur Logo.svg.png|thumb]] | |||
'''<big>एवमुक्त्वा ह्रषीकेश गुडाकेशः परन्तप ।</big>''' | '''<big>एवमुक्त्वा ह्रषीकेश गुडाकेशः परन्तप ।</big>''' | ||
'''<big>न योत्स्य इति गोविन्दमुक्त्वा तूष्णीं बभूव ह ।। ९ ।।</big>''' | '''<big>न योत्स्य इति गोविन्दमुक्त्वा तूष्णीं बभूव ह ।। ९ ।।</big>''' | ||
वचः--अर्जुनने बड़ी शूरवीरता और उत्साहपूर्व योध्दाओंको देखनेके लिये भगवान् से दोनों सेनाओंके बीचमें | '''वचः--'''अर्जुनने बड़ी शूरवीरता और उत्साहपूर्व योध्दाओंको देखनेके लिये भगवान् से दोनों सेनाओंके बीचमें | ||
रथ खड़ा करनेके लिये कहा था । अब वहींपर अर्थात् दोनों सेनाओंके बीचमें अर्जुन विषादमग्न हो गये । | रथ खड़ा करनेके लिये कहा था । अब वहींपर अर्थात् दोनों सेनाओंके बीचमें अर्जुन विषादमग्न हो गये । | ||
वास्तवमें होना यह चाहिये था कि वे जिस उद्देश्यसे आये थे, उस उद्देश्यके अनुसार युध्दके लिये खड़े हो | |||
जाते । परन्तु उस उद्देश्यको छोड़कर अर्जुन चिन्ता-शोकमें फँस गये। अतः अब दोनों सेनाओंके बीचमें ही | |||
भगवान् शोकमग्न अर्जुनको उपदेश देना आरम्भ करते हैं । |
Latest revision as of 11:42, 18 November 2022
एवमुक्त्वा ह्रषीकेश गुडाकेशः परन्तप ।
न योत्स्य इति गोविन्दमुक्त्वा तूष्णीं बभूव ह ।। ९ ।।
वचः--अर्जुनने बड़ी शूरवीरता और उत्साहपूर्व योध्दाओंको देखनेके लिये भगवान् से दोनों सेनाओंके बीचमें
रथ खड़ा करनेके लिये कहा था । अब वहींपर अर्थात् दोनों सेनाओंके बीचमें अर्जुन विषादमग्न हो गये ।
वास्तवमें होना यह चाहिये था कि वे जिस उद्देश्यसे आये थे, उस उद्देश्यके अनुसार युध्दके लिये खड़े हो
जाते । परन्तु उस उद्देश्यको छोड़कर अर्जुन चिन्ता-शोकमें फँस गये। अतः अब दोनों सेनाओंके बीचमें ही
भगवान् शोकमग्न अर्जुनको उपदेश देना आरम्भ करते हैं ।