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दोहा/सोरठा
जथा सुअंजन अंजि दृग साधक सिध्द सुजान।
कौतुक देखत सैल बन भूतल भूरि निधान।।1।।
दोहा/सोरठा
जथा सुअंजन अंजि दृग साधक सिध्द सुजान।
कौतुक देखत सैल बन भूतल भूरि निधान।।1।।