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'''मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय।।1.1।।''' | |||
Revision as of 11:24, 2 September 2021
मूल श्लोकः
धृतराष्ट्र उवाच
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय।।1.1।।